India Defence News: ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत अपनी सीमाओं को सुरक्षित करने में जुट गया है. किसी भी तरह के खतरे से निपटने की तैयारियां पहले से ही चल रही थीं, पर अब उसे रफ्तार दे दिया गया है. इंडियन फोर्सेज ने पाकिस्तान की ओर से होने वाले सीमा उल्लंघन के मामलों को देखते हुए अब भारत अरब सागर से लगती सीमाओं को अभेद्य किला बना रहा है. S-400 एयर डिफेंस सिस्टम से लेकर बराक-8 मिसाइल और देसी आकाश मिसाइल सिस्टम को तैयार किया जा रहा है. एस-400 और आकाश मिसाइल सिस्टम ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अपनी ताकत दिखाई थी, जिससे पूरी दुनिया हैरत में पड़ गई थी. बता दें कि देसी एयर डिफेंस सिस्टम प्रोजेक्ट सुदर्शन चक्र के तहत 6000-7000 रडार को इंटीग्रेट किया जाएगा, जिसे भेद पाना कतई आसान नहीं होगा.
इंटीग्रेटेड मिसाइल नेटवर्क
वेस्ट कोस्ट पर भारत अब एक इंटीग्रेटेड सर्फेस-टू-एयर मिसाइल (SAM) नेटवर्क तैयार कर रहा है, जिसमें S-400 ट्रायंफ (400 किमी रेंज), बराक-8 मीडियम रेंज मिसाइल (70-100 किमी) और देश में बनी आकाश मिसाइल सिस्टम (45 किमी) शामिल हैं. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इन सिस्टम्स ने अपनी दक्षता साबित की थी, जब पाकिस्तान द्वारा 15 भारतीय शहरों पर किए गए मिसाइल और ड्रोन हमले पूरी तरह विफल कर दिए गए थे. इंडियन एयरफोर्स ने अरब सागर और दक्षिणी क्षेत्र की निगरानी के लिए कोझिकोड (केरल) में नया रडार केंद्र स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. यह केंद्र इंटीग्रेटेड एयर कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम (IACCS) से जुड़ा होगा, जो 360-डिग्री निगरानी और शुरुआती चेतावनी क्षमता प्रदान करेगा.

वेस्ट कोस्ट पर मिसाइल सिस्टम तैनात किया जा रहा है. (फाइल फोटो)
नेवी भी एक्टिव
‘इंडिया डिफेंस न्यूज’ की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय नौसेना (Indian Navy) ने भी अरब सागर क्षेत्र में अपनी तैनाती बढ़ा दी है. आईएनएस विक्रांत और बराक-8 एलआरएसएएम प्रणालियों से लैस उन्नत विध्वंसक जहाजों की तैनाती की गई है. हाल ही में ब्रिटेन की रॉयल नेवी के साथ हुए एक्सरसाइज कोंकण-2025 ने भारत की एंटी-एयर वॉरफेयर क्षमता और अंतरराष्ट्रीय इंटरऑपरेबिलिटी को और मजबूत किया. साथ ही भारत ने आईएनएस अंद्रोत को भी शामिल किया है. यह देश का दूसरा एंटी-सबमरीन वॉरफेयर शैलो वॉटर क्राफ्ट है, जो आधुनिक सोनार और घरेलू युद्ध उपकरणों से लैस है.
ड्रोन हमलों के खिलाफ नई सुरक्षा दीवार
डीआरडीओ द्वारा विकसित तकनीकों पर आधारित इंटीग्रेटेड काउंटर-अनमैन्ड एरियल सिस्टम ग्रिड भी पश्चिमी तट पर सक्रिय कर दिया गया है. यह प्रणाली इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर, एंटी-ड्रोन और काइनेटिक इंटरसेप्शन तकनीकों को एक साथ जोड़ती है. मई 2025 के पाकिस्तानी ड्रोन स्वार्म हमलों के दौरान इस प्रणाली ने अभूतपूर्व सफलता दिखाई थी.

अरब सागर क्षेत्र में एरियल थ्रेट से निपटने की भी तैयारी है. ((फाइल फोटो)
‘मिशन सुदर्शन चक्र’ से जुड़ेगा पूरा नेटवर्क
भारत का लॉन्ग टर्म टारगेट ‘मिशन सुदर्शन चक्र’ के तहत 6,000-7,000 रडार, निगरानी उपग्रहों और डायरेक्टेड एनर्जी हथियारों को एकीकृत करना है. यह राष्ट्रीय स्तर का नेटवर्क सभी तटीय इलाकों की चौबीसों घंटे निगरानी करेगा. वर्ष 2030 तक 52 नए सर्विलांस सैटेलाइट्स भी लॉन्च करने की योजना है, जिससे अरब सागर और पश्चिमी समुद्री सीमाओं पर सतत निगरानी रखी जा सकेगी. भारतीय वायुसेना ने पश्चिमी सेक्टर में अपने ऑपरेशनल रेडीनेस प्लेटफॉर्म्स को मजबूत किया है, ताकि राफेल, मिराज और जगुआर जैसे लड़ाकू विमान तुरंत तैनाती के लिए तैयार रहें. वहीं, पश्चिमी नौसैनिक कमान को उच्च सतर्कता पर रखा गया है. हाल में एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी ने सुरक्षा तैयारियों की समीक्षा करते हुए समुद्री प्रतिरोधक क्षमता को और बढ़ाने के निर्देश दिए.
क्षेत्रीय सुरक्षा में नई रणनीतिक गहराई
मई 2025 के संघर्ष में भारत ने 500 से अधिक दुश्मन ड्रोन और कई मिसाइल हमलों को बिना किसी बुनियादी नुकसान के निष्क्रिय कर दिया था. इसने भारत की वायु रक्षा प्रणाली की प्रभावशीलता साबित की और पाकिस्तान की हवाई क्षमता को काफी हद तक कमजोर कर दिया. भारत का यह नया तटीय रक्षा ढांचा (Coastal Defence Structure) न केवल पाकिस्तान बल्कि हिन्द महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती गतिविधियों को भी ध्यान में रखकर तैयार किया गया है.

